सैफ अली खान को पारिवारिक संपत्ति के मामले में बड़ा झटका
अभिनेता सैफ अली खान को पारिवारिक संपत्ति मामले में बड़ा झटका लगा है। दरअसल भोपाल के नवाबी परिवार की संपत्ति पर ट्रायल कोर्ट का पुराना फैसला रद्द कर दिया है।

अभिनेता सैफ अली खान को पारिवारिक संपत्ति मामले में बड़ा झटका लगा है। दरअसल भोपाल के नवाबी परिवार की संपत्ति पर ट्रायल कोर्ट का पुराना फैसला रद्द कर दिया है, जिसमें सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों(सोहा और सबा अली खान) को वारिस माना गया था। अब ट्रायल कोर्ट को इस मामले की दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया गया है। वहीं 15000 करोड़ की इस संपत्ति का एक वारिस भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान पाकिस्तान जा चुका है। यही कारण है कि इस संपत्ति को केन्द्र सरकार द्वारा दुश्मन की संपत्ति घोषित किया जा चुका है।
क्या कहता है शत्रु अधिनियम?
शत्रु संपत्ति अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति विभाजन के समय पाकिस्तान चला जाता है, तो इसकी भारत की संपत्ति पर भारत सरकार का अधिकार हो जाता है। इस मामले में ऐसा ही हुआ है। नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान चली गई थीं। जो कि सैफ की संपत्ति की एक वारिस है। वो अब यहां नहीं है इसलिए केन्द्र सरकार ने इस प्रॉपर्टी को दुश्मन की संपत्ति घोषित कर दिया है।
शामिल प्रमुख संपत्तियाँ
-फ्लैग स्टाफ हाउस (सैफ का बचपन का घर)
-नूर-अस-सबाह पैलेस
-दार-अस-सलम
-हबीबी का बंगला
-अहमदाबाद पैलेस
-कोहेफिजा की संपत्तियाँ
कानूनी प्रक्रिया का अब तक का घटनाक्रम:
1999: नवाब के अन्य उत्तराधिकारियों ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दी थी।
2014: सरकार ने संपत्ति को 'दुश्मन की संपत्ति' घोषित करने का नोटिस जारी किया।
2015: सैफ अली खान ने इस पर स्टे लिया।
13 दिसंबर 2024: हाई कोर्ट ने वह स्टे हटा दिया।
दावा करने के लिए 30 दिन का समय मिला, लेकिन सैफ या उनके परिवार की ओर से कोई दावा नहीं आया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
नवाब हमीदुल्लाह खान की तीन बेटियाँ थीं:
आबिदा सुल्तान – पाकिस्तान चली गईं (सरकार के अनुसार यही वजह है संपत्ति के शत्रु घोषित होने की)।
साजिदा सुल्तान – भारत में रहीं और सैफ की दादी थीं।
तीसरी बेटी भी भारत में रहीं।
आगे क्या?
मामले की अब ट्रायल कोर्ट में दोबारा सुनवाई होगी और हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि एक साल के भीतर निर्णय दिया जाए। इस फैसले से न सिर्फ सैफ अली खान की संपत्ति पर दावा कमजोर हुआ है, बल्कि नवाबी विरासत की संरचना भी बदल सकती है।