मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को दिया नोटिस, मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति जाति के आधार पर हो
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि राज्य के सभी धार्मिक स्थलों पर पुजारियों की नियुक्ति में सभी वर्गों को समान अवसर दिया जाए।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि राज्य के सभी धार्मिक स्थलों पर पुजारियों की नियुक्ति में सभी वर्गों को समान अवसर दिया जाए। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। यह याचिका अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) के सचिव एमसी अहिरवार द्वारा दायर की गई है। इसमें मध्य प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुखों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में वर्ष 2019 के मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुजारियों की नियुक्ति में केवल एक विशेष जाति को प्राथमिकता देना भारतीय संविधान के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) के सचिव एमसी अहिरवार ने एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2019 के मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक को चुनौती दी है। इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय मंत्रालय, धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग और लोक निर्माण विभाग को पक्षकार बनाया गया है।
याचिका के अनुसार, विधेयक की धारा 46 के अंतर्गत राज्य सरकार ने करीब 350 मंदिरों को अपने अधीन ले लिया है और इन मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के लिए अध्यात्म विभाग ने एक ऐसा नियम बनाया है जिसमें केवल ब्राह्मण जाति के लोगों को पुजारी बनने की पात्रता दी गई है। साथ ही, इन पुजारियों को सरकारी खजाने से वेतन भी दिया जाता है।
अहिरवार ने याचिका में यह तर्क दिया है कि हिंदू धर्म में ओबीसी, एससी और एसटी जैसे अनेक वर्ग शामिल हैं, ऐसे में पुजारी की नियुक्ति केवल एक जाति तक सीमित करना संविधान के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है। उनका कहना है कि नियुक्ति योग्यता के आधार पर होनी चाहिए, न कि जाति के आधार पर।
सरकार की ओर से इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि अजाक्स एक कर्मचारी संगठन है, जिसे इस तरह की याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस आपत्ति को दरकिनार करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या पक्ष रखती है और कोर्ट इस संवेदनशील मामले में क्या निर्णय देता है, क्योंकि इससे राज्य के मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति की प्रणाली में बड़ा बदलाव संभव है।