पाकिस्तान से रिहा हुए बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार
पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गलती से पाकिस्तान में दाखिल हुए बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की बुधवार को रिहाई हो गई और वे सुरक्षित भारत लौट आए।

- 504 घंटे तक थे पाकिस्तान में कैद,
- गलती से हुए था सीमा उलंघन
पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गलती से पाकिस्तान में दाखिल हुए बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की बुधवार को रिहाई हो गई और वे सुरक्षित भारत लौट आए। उनकी वापसी के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पूरा प्रयास किया था। जवान की रिहाई 504 घंटे बाद हुई, जिसके लिए बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच छह से ज्यादा फ्लैग मीटिंग की गईं। इसके अलावा बॉर्डर पर 84 बार सीटी बजाकर संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई। बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के उच्च अधिकारियों के बीच भी बातचीत हुई।
कई बार बजी सीटी-
फ्लैग मीटिंग के लिए सिर्फ सीटी ही नहीं, बल्कि झंडे के जरिए भी संकेत दिए जाते हैं, ताकि पाकिस्तानी रेंजर्स बातचीत के लिए सामने आएं। जब सीटी बजाने पर कोई जवाब नहीं मिलता, तो कुछ समय बाद बीएसएफ जवान फिर से उसी स्थान पर पहुंचते थे। सूत्रों के अनुसार, बीते सप्ताह से पाकिस्तानी रेंजर्स फ्लैग मीटिंग से बचने लगे थे और उनकी ओर से ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। ऐसा प्रतीत हुआ कि वे जानबूझकर संवाद टाल रहे थे। इसके बाद बीएसएफ ने कूटनीतिक रास्ता अपनाया और जवान की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक माध्यमों का सहारा लिया गया। डीजीएमओ स्तर पर भी यह मामला उठाया गया।
हाल ही में हुई थी इलाके में तैनाती-
यह घटना 23 अप्रैल की है, जब बीएसएफ जवान शॉ 182वीं बटालियन के तहत बॉर्डर गेट नंबर 208/1 पर तैनात थे और फसल काट रहे भारतीय किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे थे। उसी दौरान, गर्मी की वजह से वे एक पेड़ की छांव में खड़े होने गए और गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए, जहां पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनकी सर्विस राइफल भी जब्त कर ली। बताया गया है कि जवान को हाल ही में इस इलाके में तैनात किया गया था।
पूर्व आईजी बीएन शर्मा ने कहा-
बीएसएफ के पूर्व आईजी बीएन शर्मा के अनुसार, इस तरह के मामले आमतौर पर कमांडेंट स्तर पर ही सुलझा लिए जाते हैं, और कई बार कुछ घंटों में ही जवानों को वापस कर दिया जाता है, बशर्ते उनकी कोई आपराधिक मंशा न हो। यदि निचले स्तर पर बात नहीं बनती, तो बातचीत डीआईजी, फिर आईजी स्तर तक जाती है और अंततः जरूरत पड़ने पर राजनयिक प्रयास किए जाते हैं।
कई बार दिया बातचीत का आमंत्रण-
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में बीएसएफ की ओर से रोजाना तीन से चार बार सीटी बजाकर या झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स को बातचीत के लिए आमंत्रित किया जाता रहा। जवान की रिहाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यह भी साफ हो गया था कि पाकिस्तानी रेंजर्स के लिए जवान को लंबे समय तक अपनी हिरासत में रखना संभव नहीं होगा।