संन्यास के एलान के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति
विराट कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिए है। विराट के इस फैसले से सभी हैरान है। टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद विराट और अनुष्का वृंदावन पहुंचे।
प्रेमानंद महाराज से की मुलाकात-
विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ मंगलवार सुबह वृंदावन पहुंचे। दोनों ने श्रीराधे हित केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की और आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम में उन्होंने आध्यात्मिक चर्चाओं में भी भाग लिया। संन्यास के बाद यह विराट की पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी।
सोमवार को किया था संन्यास का एलान-
विराट कोहली ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए टेस्ट क्रिकेट से अपने संन्यास की घोषणा की थी। उन्होंने अपने 14 साल के टेस्ट करियर को अलविदा कहते हुए इसे एक भावुक अनुभव बताया। कोहली इससे पहले टी20 अंतरराष्ट्रीय से भी संन्यास ले चुके हैं और अब केवल वनडे क्रिकेट और आईपीएल में खेलते नजर आएंगे। वह आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ एक बार फिर खिताब जीतने का प्रयास करेंगे।
आश्रम में साढ़े तीन घंटे तक रुके विराट-अनुष्का-
कोहली और अनुष्का सुबह करीब 6 बजे आश्रम पहुंचे और लगभग साढ़े नौ बजे वहां से रवाना हुए। यह पहली बार नहीं है जब विराट संत प्रेमानंद महाराज से मिले हों। इससे पहले भी जनवरी 2023 में वे यहां आ चुके हैं। इस बार उन्होंने अपने मन की बातें साझा करते हुए पूछा कि असफलता से उबरने का रास्ता क्या है, जिस पर संत ने कहा – "अभ्यास करते रहो।"
संत प्रेमानंद और कोहली-अनुष्का की बातचीत के मुख्य बातें-
संत प्रेमानंद ने विराट से पूछा, "क्या आप खुश हैं?"
विराट ने जवाब दिया, "हां, ठीक हूं।"
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब भगवान किसी पर कृपा करते हैं, तो वे उसे वैभव नहीं, बल्कि अंदर का चिंतन बदलने का वरदान देते हैं। बाहरी यश, कीर्ति, सफलता पुण्य से मिलते हैं, लेकिन भगवान की असली कृपा व्यक्ति की सोच और आत्मचिंतन में बदलाव लाना है।
उन्होंने बताया कि भगवान की कृपा पहले संत संग के रूप में मिलती है और फिर विपरीत परिस्थितियों के रूप में। यही परिस्थितियाँ मनुष्य को अंदर से बदलने और सच्चे मार्ग की ओर ले जाने का जरिया बनती हैं।
संत ने कहा कि जब विपरीतता आए, तो समझें कि ईश्वर की कृपा हो रही है और यह अवसर है आत्मसुधार का।
अनुष्का ने पूछा – "क्या सिर्फ नामजप से भगवान की प्राप्ति हो सकती है?"
संत प्रेमानंद ने उत्तर दिया कि हाँ, पूर्ण रूप से हो सकती है। उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख संत और योगियों ने नामजप को सर्वोच्च साधन माना है। वृंदावनवासी "राधा-राधा" का जप करते हैं, और अगर अंतिम सांस तक "राधा" जप करते हुए जीवन समाप्त हो, तो सीधा प्रभु की प्राप्ति संभव है।
उन्होंने सुझाव दिया कि प्रतिदिन शांत मन से स्नान आदि करके कुछ समय "राधा-राधा" लिखें और उसी का चिंतन करें। यह अभ्यास जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
चर्चा के बाद दोनों ने संत प्रेमानंद को प्रणाम किया। आश्रम में उन्हें संतों द्वारा चुनरी ओढ़ाई गई और संत ने उन्हें आशीर्वाद दिया – "खूब आनंदित रहो और भगवान का नाम जपते रहो।"