छिंदवाड़ा: मंदिर के नाम पर 90 लाख का गबन, साध्वी लक्ष्मीदास को नहीं मिली कोर्ट से राहत 

श्रीराम-जानकी मंदिर, चौरई (लोनीकला) से जुड़े 90 लाख रुपये के गबन मामले ने अब और गंभीर मोड़ ले लिया है।

May 21, 2025 - 13:16
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छिंदवाड़ा: मंदिर के नाम पर 90 लाख का गबन, साध्वी लक्ष्मीदास को नहीं मिली कोर्ट से राहत 
90 lakh embezzlement in the name of temple Sadhvi Laxmi Das did not get relief from the court


श्रीराम-जानकी मंदिर, चौरई (लोनीकला) से जुड़े 90 लाख रुपये के गबन मामले ने अब और गंभीर मोड़ ले लिया है। हाल ही में हाईकोर्ट ने आरोपी साध्वी लक्ष्मी दास (जो कि रीना रघुवंशी के नाम से भी जानी जाती हैं) द्वारा पेश की गई अर्जी को सख्ती से खारिज कर दिया, जिसमें उसने शर्त हटाने की मांग की थी। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि आरोपी ने अदालत को गुमराह किया है और धोखाधड़ी की है, इसलिए उसे कोई राहत नहीं दी जा सकती।

यह मामला श्रीराम-जानकी मंदिर, चौरई (लोनीकला) से संबंधित 90 लाख रुपये के गबन से जुड़ा है। यह घटना तब सामने आई जब स्व. कनक बिहारी दास महाराज का 17 अप्रैल 2023 को एक सड़क हादसे में निधन हो गया। कनक बिहारी दास मंदिर के प्रमुख होने के साथ-साथ रघुवंशी समाज के गुरु भी थे। उनके निधन के बाद, मंदिर की संपत्ति और भक्तों की आस्था से जुड़ी 90 लाख रुपये की राशि पर साध्वी लक्ष्मी दास और उसके भाई हर्ष रघुवंशी की नजर पड़ी।

आरोप है कि साध्वी लक्ष्मी दास ने महंत के बैंक खाते से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा लिया और नेट बैंकिंग के जरिए 90 लाख रुपये की रकम निकाल ली। जब यह फर्जीवाड़ा सामने आया, तो मंदिर के पुजारी श्याम सिंह ने दोनों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। इसके बाद, साध्वी लक्ष्मी दास ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की, जिसमें उसने कहा कि वह 90 लाख रुपये अदालत में जमा कर देगी। इसके आधार पर दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत दी, लेकिन शर्त यह थी कि रकम जमा करनी होगी।

हालांकि, हाल ही में साध्वी ने कोर्ट में कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह 90 लाख रुपये जमा नहीं कर सकती। इस पर कोर्ट ने इसे गंभीर धोखाधड़ी मानते हुए साध्वी को फटकार लगाई और कहा कि उसने अदालत को गुमराह किया है। इसके अलावा, कोर्ट ने साध्वी के भाई हर्ष रघुवंशी की पहले दी गई जमानत भी रद्द कर दी।

यह मामला सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था और एक पवित्र मंदिर के साथ विश्वासघात का भी है। अदालत का सख्त रुख यह संकेत देता है कि धार्मिक संस्थानों में गबन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।