55 साल पुराने अंतरिक्ष यान के धरती पर गिरने की आशंका से वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता
सोवियत युग के एक 55 साल पुराने अंतरिक्ष यान को लेकर वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है।

शुक्र मिशन का हिस्सा था 1972 में लॉन्च हुआ कोस्मोस 482
सोवियत युग के एक 55 साल पुराने अंतरिक्ष यान को लेकर वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यह अब अनियंत्रित होकर धरती की ओर लौट रहा है। यह अंतरिक्ष यान 1970 के दशक में शुक्र ग्रह मिशन के तहत भेजा गया था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यह पृथ्वी की कक्षा से बाहर नहीं निकल सका और तभी से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। अब इसके धरती पर गिरने की आशंका है।
10 मई के आसपास पृथ्वी में कर सकता है पुनः प्रवेश-
जानकारी के अनुसार, अंतरिक्ष मलबे की निगरानी करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यह कहना अभी यह कहना जल्दी होगा कि यान का मलबा पृथ्वी पर कहां गिरेगा या इसका कितना हिस्सा वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद बच पाएगा। डच वैज्ञानिक मार्को लैंगब्रोक के अनुसार, यह यान लगभग 10 मई के आसपास पृथ्वी की कक्षा में पुनः प्रवेश कर सकता है। यदि यह जलने से बच गया, तो यह लगभग 242 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गिर सकता है।
उल्कापिंड जैसी स्थिति:
लैंगब्रोक ने बताया कि यह यान आकार में छोटा है, और इसकी गिरावट का खतरा उतना ही है जितना एक सामान्य उल्कापिंड के पृथ्वी पर गिरने का होता है। हालांकि, किसी के ऊपर गिरने की संभावना बेहद कम है, लेकिन इसे पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता।
कोस्मोस 482, 53 साल पुराना कैप्सूल-
कोस्मोस 482 नाम का यह यान 1972 में लॉन्च किया गया था, लेकिन एक रॉकेट खराबी के कारण यह शुक्र तक नहीं पहुंच सका और पृथ्वी की अत्यधिक अण्डाकार कक्षा में फंस गया। लैंडिंग कैप्सूल — जो करीब 1 मीटर व्यास का एक गोल ढांचा है पिछले 53 सालों से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है और धीरे-धीरे उसकी ऊंचाई घटती जा रही है।
संभावित खतरे-
विज्ञानी मानते हैं कि करीब 500 किलोग्राम वजनी यह कैप्सूल वायुमंडल में प्रवेश के बाद भी जलने से बच सकता है, क्योंकि इसे शुक्र के घने वातावरण को सहन करने के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था। हालांकि, पैराशूट सिस्टम और हीट शील्ड की दशा अब संदेह के घेरे में है। अगर हीट शील्ड काम नहीं करता, तो कैप्सूल जलकर खत्म हो जाएगा, लेकिन अगर वह सक्रिय रहा, तो यह धरती पर बरकरार रहकर गिर सकता है।
कहां गिर सकता है मलबा-
अंतरिक्ष यान के 51.7° उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच पृथ्वी पर कहीं भी गिरने की संभावना है यानी कनाडा से लेकर दक्षिण अमेरिका तक के क्षेत्र में। हालांकि, चूंकि पृथ्वी का अधिकांश भाग जल से ढका है, इसलिए संभावना है कि यह किसी समुद्र में गिरकर नष्ट हो जाएगा।
इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं जैसे 2022 में चीन का बूस्टर रॉकेट और 2018 में तियानगोंग-1 अंतरिक्ष स्टेशन का मलबा अनियंत्रित रूप से पृथ्वी पर लौटा था।